Sunday, February 9, 2025

किया तूँ सुणदी पयी हें ? माँ

किया तूँ सुणदी पयी हें ? माँ   ((सिराइकी में मेरी कविता )

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माँ , तूँ  कयी वारी आखिया कर दी हावें 

बबली, तूँ इतनी  चुप चुपिती क्यों हें 

कुझ दा  बोलिया कर 

मन दे दरवाज़े ते खड़का कर 

शब्दां दी  दस्तक नाल खोलिया कर 


हुण  जुबान तुं  ताला हटाया हे 

तूँ ही नहि सुणनं वास्ते 

ख़यालां दा जो काफ़िला 

तूँ छोड़ गयी हें 

मेडे दिल-दिमाग वेच 

वादा हे टेड़े नाल 

इवें ही अगे वधाये रखसां 


सारी दुनिया वेच टेडी झलक वेख 

सीधे सादे हरफ़ां दी पेशक़श 

साफ़ सुथरी नदी वरगा 

इवेन ही वगण देसां 


मेडी चुप्पी कुं होण 

जुबान मिल गयी हे 

किया तूँ सुणदी पयी हें ? माँ 


रजनी छाबड़ा