Saturday, February 27, 2010

indradhanush

मेरी
ज़िन्दगी के आकाश पे
 इन्द्रधनुष   सा
उभरे तुम

नील गगन सा विस्तृत
तुम्हारा प्रेम
तन मन को पुलकित
हरा  भरा  कर देता

खरे सोने सा सच्चा
तुम्हारा प्रेम
जीवन
रंग देता

तुम्हारे
स्नेह की
पीली ,सुनहली
धूप   मैं

नारंगी सपनों का
ताना बाना बुनते
संग तुम्हारे पाया
जीवन मैं
प्रेम की लालिमा
 सा विस्तार
 इंद्रधनुषी
सपनो से
सजा
संवरा
अपना संसार

बाद
तुम्हारे
इन्द्रधनुष  के और
रंग खो गए
बस, बैंजनी विषाद
की छाया
दूनी है
बिन तेरे ,
मेरी ज़िन्दगी
सूनी सूनी
है

रजनी छाबड़ा