Wednesday, August 19, 2020

' सृजन संवाद'

आज डॉ. नीरज दइया जी की हिंदी कृति ' सृजन संवाद' के प्रकाशित होने व् उन्हें लेखकीय प्रतियाँ प्राप्त होने की सुखद सूचना मिली/  यह जानना भी अत्यन्त सुखद है कि राजस्थानी के लेखकों से सृजन संवाद की यह पहली किताब है , जिस में डॉ नीरज दइया द्वारा लिए गए साक्षात्कारों के साथ  ही साथ उनका भी साक्षात्कार इस कृति में शामिल है/ इस किताब में महाकवि श्री कन्हैयालाल सेठिया से व्यंग्यकार -कहानिकार बुलाकी शर्मा तक की एक पूरी साहित्य को धनवान करने वाली पीढ़ी से संवाद हुआ है/ स्वाभाविक रूप से इस साहित्यिक यात्रा को जानने की उत्सुकता जागृत  हो रही है/

किताब गंज, दिल्ली से प्रकाशित यह उत्कृष्ट पुस्तक, मेरे लिए एक और कारण से भी बहुत विशिष्ट हो गयी है/ यह पुस्तक मुझ नाचीज़ को समर्पित की गयी है/ मैंने तो कभी सपने में भी न सोचा था कि कवि - मित्र डॉ. नीरज दइया , जिन्हे मैं, हिंदी और राजस्थानी भाषा में अपना पथ प्रदर्शक मानती हूँ, मुझे इतना अधिक मान देंगे/

बीकानेर से मेरा पुराना नाता है/मैंने अपने जीवन के ३५ यादगार साल यहाँ राजकीय सेवा में बिताएं है व् साहित्यिक सरोकार तो है ही/ बीकानेर में थी तो नीरज जी से कोई परिचय नहीं था/ २०१५ में  उन्हें बेंगलुरु में साहित्य अकादमी द्वारा उनकी बाल साहित्य कृति जादू रो पेन के लिए सम्मानित किया गया/  स्वैच्छिक सेवा निवृति के बाद, मैं बेंगलुरु में ही बस गयी थी/ राजेन्द्र जोशी जी ने ज़िक्र किया कि अपने बीकानेर के लेखक नीरज जी वहां सम्मानित हो रहे हैं, इस नाते उनकी खुशी में शरीक़ होने अकादमी गयी/ यही पहला परिचय था/ इस के बाद जब भी बीकानेर आती, उनसे मुलाकात अवश्य होती / लगभग तीन साल से, मैं गुरुग्राम रहने लगी हूँ/ बीकानेर से निरंतर सम्पर्क है/
गत वर्ष  भी, बुलाकी शर्मा जी व् नीरज जी, मेरे निवास पर मिलने आये/ बातों ही बातों में मैंने उनसे ज़िक्र किया, हिंदी व् उर्दू की सशक्त हस्ताक्षर, नासिरा शर्मा जी से उनके निवास पर मेरी आत्मीय मुलाकात का/ मैंने अनौपचारिक बातचीत के दौरान, दीदी के कुछ वीडियो भी बनाये थे/ शर्मा जी व् दइया जी ने, एक साथ ही मुझसे सवाल किया कि मैंने उनका इंटरव्यू क्यों नहीं लिया/ मेरा सीधा, सहज जबाब यह था कि मुझे तो औपचारिक रूप से इंटरव्यू लेना आता ही नहीं/ आप सीखा दीजिये तो आपके द्वारा दिया गया ज्ञान मेरे लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगा/ बुलाकी जी ने कहा, "आप तो दिल्ली में हैं/साहित्यकारों के गढ में रहती हैं/ आपको इतने अवसर मिलते हैं, प्रतिष्ठित साहित्यकारों से मिलने के; इन मुलाकातों को कलमबद्ध कीजिये/"
नीरज जी कुछ नहीं बोले/ उनका मंद मंद मुस्कुराने का अंदाज़ संकेत दे देता है कि कुछ नया होने को है/
अभी कुछ दिन पहले मुझे सूचना दी कि सृजन संवाद शीघ्र ही प्रकाशित हो रहा है और  इसका संक्षिप्त परिचय दिया/
अब में आश्वस्त हूँ  कि सृजन संवाद पढ़ कर , मुझे भी प्रोत्साहन मिलने वाला है साक्षात्कार लेने हेतु/ कवयित्री और अनुवादक होने के नाते, अक्सर मुलाकातें होती है , प्रसिद्ध रचनाकारों से/ मैं  हृदयतल से आभारी हूँ डॉ नीरज दइया की, इस मार्गदर्शन के लिए/
इस पुस्तक में सम्मिलित राजस्थानी साहित्य के कुछ अग्रजों के बारे में केवल सुना है, कुछ से व्यक्तिगत परिचय भी है/ इस पुस्तक के माध्यम से और अधिक जानने का अवसर मिलेगा/ सभी को बहुत बहुत बधाई/
किताबगंज प्रकाशन को इस उत्कृष्ट प्रकाशन के लिए बधाई व् लोकप्रियता के लिए शुभ कामनाएँ /

रजनी छाबड़ा
बहु भाषीय कवयित्री  एवं अनुवादिका




Wednesday, August 5, 2020

रीते लम्हे

रीते लम्हे


इन दिनों
आँखों में जो
हल्का हल्का सरूर है
यह तुम्हारा
मेरी ज़िन्दगी में
 होने का गरूर है/


धुली धुली से लगती हैं कायनात
मटमैली ज़िंदगी ने बदली है करवट
यह तुम्हारे क़दमों की आहट का असर है
 या मेरा मदहोश ख्याल है/


रीते लम्हे लबालब हो  गए
तेरे ख्यालों की बौछार से
इन्हे सहजे ही रखना है
ता  उम्र
यही मेरी खुशी
यही मेरा हर त्यौहार है/