Sunday, July 31, 2022

बिन बुलाये मेहमान सरीखा

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बिन बुलाये मेहमान सरीखा 

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दर्द बिन बुलाये मेहमान सरीखा 

घर  में  कर  जाता हैं बसर 

अपनी मर्ज़ी  से आता जाता है 

झुकना पड़ता है 

उसकी रज़ा  के आगे 

उलझ  जाते  हैं 

ज़िंदगी के धागे 

बदल जाता है 

जीने  का अंदाज़

जब दर्द दस्तक देता है 

बेआवाज़ 


रजनी छाबड़ा