आँख भेर आयी
निगाह
गहरी
और गहरी हुई
एक सागर
प्यार का
उमड़ आया
अंतस के
अछोर क्षितिज
तभी जगा
मन मैं
यह भय
तिरोहित न
हो जाएखुली आँख कास्वपन
और बसझुक गई पलकेंकिस खजाने की भला
यह प्रेहेरी हुई
या खुदा!
थोड़ा सा अधूरा रहने दे
मेरी ज़िन्दगी का प्याला
ताकि प्रयास जारी रहे
उसे पूरा भरने का
जब प्याला
भर जाता है लबालब
भय रहता है
उसके छलकने का
बिखरने का
जब प्याला
रहता है अधूरा
प्रयास रहता, उसमे
कुछ और कतरे
समेटने का
जो जूनून
पूर्णता
पाने के प्रयास मैं है
वो पूर्णता मैं कहाँ
लबालब प्याले मैं
और भेरने की
गुन्जायिश नही
रहती ज़िन्दगी से
और कोई
ख्वाहिश नहीं
पूर्णता बना देती
संतुष्ट और बेखबर
पूर्णता कीचाह करती
प्रयास को मुखेर
मुझे थोड़े से अधूरेपन मैं ही जीने देघूँट घूँट ज़िन्दगी पीने दे
सतत
प्रयासशीलज़िन्दगी जीने दे