Expression
Thursday, November 12, 2009
mn ki khulee seep main
मन की खुली सीप में
ज़िन्दगी के सागर में
गिरती हैं बूँदें अनेक
ओर छा जाती है
एक हलचल
इस हलचल में
मन की खुली सीप में
गिरती हैं सिर्फ एक बूँद ऐसी
जो संजोई जाती है ता उमर
प्यार के एक सव्चे मोती सी
रजनी छाबरा
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)