Sunday, October 30, 2022

'बात सिर्फ इतनी सी' : हिंदी काव्य-संग्रह


बात सिर्फ इतनी सी

सपनों का वितान और यादों का बिछौना/ नहीं रहता इनसे अछूता/ मन का कोई भी कोना/

जीवन की छोटी छोटी खुशियाँ और यादों के मधुबन हमारी अमूल्य निधि हैं/ रिश्तों की गरिमा, अपनों का सानिध्य, अस्तित्व की पहचान और सौहार्द पूर्ण सह-अस्तित्व यही तो ताने -बाने हैं हमारे सामाजिक परिवेश के/ यदि यही सामजिक ताना -बाना तार-तार होने के कगार पर हो, कवि का संवेदनशील मन अछूता कैसे रह पायेगा/ यही अनुभूतियाँ कलमबद्ध करने का प्रयास किया है, अपनी काव्य-कृति 'बात सिर्फ इतनी सी' के माध्यम से/

बचपन से लेकर उम्र के आख़िरी पड़ाव तक का सफर, बहुआयामी चिंताएं, अन्याय, उत्पीड़न, नगरीकरण का दबाव, अपनी माटी की महक, जीवन मूल्यों के प्रति निष्ठा, संस्कारों के प्रति आस्था, अबोले बोल और आकुलता ऐन्द्रिय धरातल पर कुछ बिम्ब बनाते हैं/ इन्हे शब्दों का रूप दे कर उकेरा है/

जो दूसरों के दर्द को

निजता से जीता है

भावनाओं और संवेदनाओं को

शब्दों में पिरोता है

वही कवि कहलाता है

यही दायित्व निभाने की कोशिश की है, अपनी रचनाओं के माध्यम से/ इन कविताओं का मूल्यांकन मैं अपने सुधि पाठकों पर छोड़ती हूँ/ आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी/

रजनी छाबड़ा
बहु-भाषीय कवयित्री व् अनुवादिका

अद्भुत काव्य संग्रह : बात सिर्फ़ इतनी सी :साहित्य भूषण आचार्य मूसा खान अशान्त बाराबंकवी


 



अद्भुत  काव्य संग्रह

       ' बात सिर्फ़ इतनी सी'  ये आज के समय की सुप्रसिद्ध कवयित्री,अनुवादिका और अंकशास्त्रीं  रजनी छाबड़ा जी की 60 कविताओं का सँग्रह है। सभी कविताएं एक से बढ़कर एक हैं । साँझ के अँधेरे में, दीवार,खामोशी, अधूरी आरज़ू,ये कैसा सिलसिला आदि सभी कविताओं में कवयित्री ने जीवन के विभिन्न पहलुओं को बहुत ही दार्शनिकता पूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया है।

     मुझे आशा ही नही अपितु आदमक़द विश्वास है कि इस काव्य सँग्रह की रचनाओं को काव्य प्रेमियों द्वारा भरपूर प्यार मिलेगा क्योंकि इसकी भाषा तो सरल, सहज तथा बोधगम्य होने के साथ प्रभावशाली है। रजनी छाबड़ा जी  ने निस्संदेह बहुत श्रम किया है, मैं इस काव्य सँग्रह के अवतारणा के लिए उन्हें बधाई देता हूँ।

   आशा है, उनकी यह नव्यतम कृति *' बात सिर्फ़ इतनी सी '* अक्षय कीर्ति अर्जित कर विश्व हिंदी काव्य जनमानस में प्रतिष्ठित होगी।

                 शुभकामनाओं सहित

  (साहित्य भूषण आचार्य मूसा खान अशान्त बाराबंकवी  )

     7376255606