अद्भुत काव्य संग्रह
' बात सिर्फ़ इतनी सी' ये आज के समय की सुप्रसिद्ध कवयित्री,अनुवादिका और अंकशास्त्रीं रजनी छाबड़ा जी की 60 कविताओं का सँग्रह है। सभी कविताएं एक से बढ़कर एक हैं । साँझ के अँधेरे में, दीवार,खामोशी, अधूरी आरज़ू,ये कैसा सिलसिला आदि सभी कविताओं में कवयित्री ने जीवन के विभिन्न पहलुओं को बहुत ही दार्शनिकता पूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया है।
मुझे आशा ही नही अपितु आदमक़द विश्वास है कि इस काव्य सँग्रह की रचनाओं को काव्य प्रेमियों द्वारा भरपूर प्यार मिलेगा क्योंकि इसकी भाषा तो सरल, सहज तथा बोधगम्य होने के साथ प्रभावशाली है। रजनी छाबड़ा जी ने निस्संदेह बहुत श्रम किया है, मैं इस काव्य सँग्रह के अवतारणा के लिए उन्हें बधाई देता हूँ।
आशा है, उनकी यह नव्यतम कृति *' बात सिर्फ़ इतनी सी '* अक्षय कीर्ति अर्जित कर विश्व हिंदी काव्य जनमानस में प्रतिष्ठित होगी।
शुभकामनाओं सहित
(साहित्य भूषण आचार्य मूसा खान अशान्त बाराबंकवी )
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