मेरी दीवाली
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तम्मनाओं की लौ से
रोशन किया
एक चिराग
तेरे नाम का
लाखों चिराग
तेरी यादों के
ख़ुद बखुद
झिलमिला उठे
पहचान
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अंधकार को
अपने दामन में समेटे
ज्यों दीप बनाता है
अपनी रोशन पहचान
यूं ही तुम
अश्क़ समेटे रहो
खुद में
दुनिया को दो
सिर्फ मुस्कान
अपनी अनाम
ज़िन्दगी को
यूं दो एक नयी पहचान
जीना बस इस अंदाज़ से
गुमनामी के अँधेरे चीर
बन जाओ ज़िंदगी की शान
रजनी छाबड़ा
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