Saturday, January 18, 2025

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ਸ਼ੁਕਰੀਆ ਤੇਜਿੰਦਰ ਚਾਂਡਿਹੋਕ ਜੀ ਦਾ , ਮੇਰੀ ਦੋ ਹਿੰਦੀ ਕਵਿਤਾਵਾਂ ਦੇ ਪੰਜਾਬੀ ਅਨੁਵਾਦ ਲਈ /  'ਆਸ ਦੀ ਕੁੰਚੀ ' ਮੇਰੇ ਹਿੰਦੀ ਕਵਿਤਾ ਸੰਗ੍ਰਿਹ ਵਿਚ ਇਹ ਦੋਨੋ ਕਵਿਤਾ ਸ਼ਾਮਿਲ ਹਨ / ਤੇਜਿੰਦਰ ਜੀ ਅਜੇ ਤੋਂ  ਵਰੇ ਪਹਲੇ ਮੇਰੇ ਦੋ ਹਿੰਦੀ ਕਵਿਤਾ ਸੰਗ੍ਰਿਹ ਹੋਨੇ ਦੇ ਨ ਹੋਨੇ ਤਕ ਅਤੇ ਪਿਘਲਤੇ ਹਿਮਖੰਡ ਦਾ ਪੰਜਾਬੀ ਅਨੁਵਾਦ ਕਰ ਚੁਕੇ ਹਨ/


ਮੈਂ ਸ਼ੁਕਰਗੁਜਾਰ ਹਾਂ ਸੰਪਾਦਕ, ਦੇਸ਼ ਸੇਵਕ ਅਖਬਾਰ ਦੀ, ਇਨ੍ਹਾਂ ਕਵਿਤਾਵਾਂ ਨੂੰ ਛਾਪਣ ਲਈ /
ਰਜਨੀ ਛਾਬੜਾ 


तेडे इंतज़ार वेच 

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आ, तूं मुड़  आ 

वरना, मैं इवेन ही

जागदी राहंसा 

सारी सारी रात  

मिटांदी राहसां 

लेख़ लेख़ के 

टेडा नां 

रेत ते 

ते हर सवेरे 

सुर्ख़ उनिदरी  अनखां  नाल 

नींदर तुं भारी पलकां नाल 

कटदी राहंसा 

कलेंडर तुं 

हेक होर तरीक़ 

आपणे सच्च दा  सबूत बणा  के कि 

हक होर रोज़ 

तेंकु याद किता 

टेडा नाम घिदा /


रजनी छाबड़ा 

काफ़ी हेन

 काफ़ी हेन 

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हेक ख़्वाब 

बेनूर अखां वासते  

हेक आह 

चुप -चुपीते होठां वासते 

हेक पाबन्द 

तार तार जिग़र 

सीवण  वासते 


काफ़ी हें 

इतने समान 

मेडे जीवण दे वासते /


रजनी छाबड़ा 

मन दी पतंग : सिराइकी में मेरी कविता

 मन दी  पतंग :  सिराइकी में मेरी कविता 

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पतंग वांगु शोख़ मन 

आपणी चंचलता ते सवार 

नपणा चाह्न्दा हे 

पूरे आसमान दा  फ़ैलाव  

पहाड़, समंदर , उचियाँ इमारतां 

अन्वेखी कर के 

सब रुकवाटां 

क़दम अगे ही अगे वधावे 


ज़िंदगी दी थकान 

दूर करण वास्ते 

मुन्तज़र हाँ असां 

मन दी पतंग ते 

सुफ़नायें दे आसमान वास्ते 

जिथे मन घेन सके 

बेहिचक, सतरंगी उडारी   


पर क्यों पकडावां डोर 

पराये हथां वेच 

हर पल ख़ौफ़ज़दा 

रहवे मन 

रब जाणे,  कद कटीज़ वंजे 

कदों लुटीज़ वंजे 


शोख़ी नाल भरिया

 चंचल मन वेखे 

ज़िंदगी दे आईने 

पर सच दे धरातल ते 

टिके कदम ही देंदे 

ज़िंदगी कुं मायने /


रजनी छाबड़ा 





चाहत

 चाहत  (सिराइकी में मेरी कविता)

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जे चाहत 

हिक गुनाह हे 

क्यूँ झुकदा हे 

आसमान ज़मीन ते 


क्यूँ घुम्दी हे ज़मीन 

सूरज दे गिर्द /


रजनी छाबड़ा 


किवें भुला सकदे हाँ : सिराइकी में मेरी कविता

 

किवें भुला सकदे हाँ (सिराइकी में मेरी कविता)

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असां भुल सकदे हाँ उनहानु 

जिन्हाने ने साडे नॉल 

साडे सुख दे संमे 

लगाये कहकहे 


किवें भुला सकदे हाँ उनहानु 

जिन्हाने ने साडे दुख़ वेच 

वहाये हंजु बिना कहे /


रजनी छाबड़ा