किवें भुला सकदे हाँ (सिराइकी में मेरी कविता)
**************
असां भुल सकदे हाँ उनहानु
जिन्हाने ने साडे नॉल
साडे सुख दे संमे
लगाये कहकहे
किवें भुला सकदे हाँ उनहानु
जिन्हाने ने साडे दुख़ वेच
वहाये हंजु बिना कहे /
रजनी छाबड़ा
No comments:
Post a Comment