बोतलबंद पानी
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निर्मल, शीतल जल की वाहिनी
हुआ करती थी नदियाँ
उस जल की मिठास
भुलाये नहीं भूलती
राहगीरों के लिए
प्याऊ लगाए जाते थे
नहीं मिलता अब
स्नेह पगा गुड़ धानी
और बेमोल पानी
बदले परिवेश
आ गया है
बोतलबंद पानी
मोल दो और पी लो
नए दौर की
यही कहानी