इस से पहले की
अधूरेपन की कसक
तुम्हे चूर चूर कर दे
ता उमर हंसने
से मजबूर कर दे
खोल दो
मन के बंद दरवाजे
और घुटन को
कर लो दूर
दर्द हर दिल
मैं बस्ता है
दर्द से सभी का
पुश्तेनी रिश्ता है
कुछ उनकी सुनो
कुछ अपनी कहो
दर्द को सब
मिल जुल
कर सेहो
इस से पहले की दर्द
रिस रिस बन जाए नासूर
लगाकर हमदर्दी का मरहम
करो दर्द को कोसों दूर
बाँट लो सुख दुःख को
मन को,जीवन को
अमृत से
कर लो भरपूर
खोल लो मन के
बंद दरवाजे
और घुटन को
कर लो दूर
मन हमारे मस्तिष्क के सारे क्रियाकलापो का योग है इसे ही खोलना तो ज़रूरी है तभी हम इसकी क्षमता का उपयोग कर सकेंगे
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