Friday, October 2, 2009

माँ के आँचल सी

सर्दी में  उष्णता और
गर्मी में शीतलता
का एहसास
प्यार के ताने बने से बुनी
ममतामयी माँ के
आँचल सी
खादी केवल नाम नही हैं
खादी केवल काम नहीं हैं
खादी परिचायक है
स्वालंबन 
स्वाभिमान का
देश के प्रति
आपके अभिमान का
रंग उमंग और
प्यार के धागे से बुनी
देश ही नहीं
विदेश में भी पाए विस्तार
खादी को बनाइये
अपना जूनून
खादी दे
तन मन को सुकून

@रजनी छाबड़ा 

1 comment:

  1. यह अफसोस की बात है कि जिस खादी से हमारी इतनी भावनायें जुड़ी है अब वह भी बाज़ार वाद का शिकार हो गई है और महंगी होकर फैशन मे जुड़ गई है ।

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