Tuesday, September 22, 2009

तुम्हारे लिए

बहारों के सब रंग
सिमट आयें तेरे दामन मैं
फूलों की महक सी
महकती रहो तुम
तुम चेह्को
नन्हे पाखी सी
खुशियाँ महके
सब और तेरी
छाया भी न कभी दुःख की
पड़े तुम पर
इतनी सी दुआ है मेरी

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