संस्कारों की जक्र्हनपहराबंदउनमुक्त धड़कनअचकचाएशब्दझुकी पलकेंजुबान खामोशरह गया कुछअनसुना,अनकहालम्हा वो बीत गयाजीवन यूँ ही रीत गयाgehraai smunder ki...unchaai...antriksh ki..lmbaai maa ke kad jesi senseval aals poem
संस्कारों की जक्र्हन
ReplyDeleteपहराबंद
उनमुक्त धड़कन
अचकचाए
शब्द
झुकी पलकें
जुबान खामोश
रह गया कुछ
अनसुना,अनकहा
लम्हा वो बीत गया
जीवन यूँ ही रीत गया
gehraai smunder ki...unchaai...antriksh ki..lmbaai maa ke kad jesi senseval aals poem