Sunday, January 10, 2016

खिलौनों सरीखे

या! खुदा 
हर घर में  
खिलौनों सरीखे 
बच्चे दे 
और बच्चों को खिलोने दे 

सुख की नींद 
 और बिछौने दे 
ममता की छाँव 
और सपने सलोने दे 


किलकिलाते रहें 
खिलखिलाते रहे
आँखों में आसूँ 
न कभी होने दे  

 रजनी छाबड़ा 

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