Expression
Friday, August 8, 2025
Sunday, August 3, 2025
याद कीजिये वो दिन
याद कीजिये वो दिन
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याद कीजिये वो दिन
जज़्बात उभरा करते थे
कल-कल करते निर्झर सी
रवानी लिए
कलम -कागज़ उठाया
उढेल दिए जज़्बात
सरलता से लिख डाली
मन की हर बात
मुँह -जबानी भी
शब्दों को मिलती थी रवानी
पीढ़ी दर पीढ़ी
सुनाए जाते थे
वीर गाथाएँ और कहानी
इंसान के दिलऔर दिमाग के बीच
नहीं था कोई कंप्यूटर
थिरकती उँगलियों से
थिरकते जज़्बात
लिख दिए जाते थे
बरबस कोरे कागज़ पर
कंप्यूटर के चलन ने
बदल दिया लिखने का सलीका
किताब और पाठक का रिश्ता
उँगलियों में लग रहे जंग
और सूखने लगी स्याही
लेखनी कागज़ के संग
रह गयी अनब्याही /
रजनी छाबड़ा
बहुभाषीय कवयित्री व अनुवादिका
Monday, July 21, 2025
जड़ां नाल रिश्ता (काव्य संग्रह)
सभी सुधि पाठकों के साथ अपने सिरायकी भाषा में सद्य प्रकाशित प्रथम काव्य संग्रह 'जड़ां नाल रिश्ता' की समीक्षा साझा करते हुए हर्षित हूँ/ समीक्षक हैं सुप्रसिद्ध बहु भाषीय कवयित्री व् समीक्षक डॉ. अंजु दुआ जैमिनी/ समीक्षा तो उत्तम हैं ही, परन्तु इस में मेरे लिए एक और सुखद आश्चर्य भी सम्मिलित है/ इस काव्य संग्रह से 5 चयनित कविताओं को स्वर दिया है, स्वयं डॉ.अंजु ने व उनकी सखियों व् साहित्यकार मित्र रेनु अरोड़ा, रश्मि कक्कड़, विनीता कुकरेजा व् इंदु चांदना ने/ आप सभी के प्रति हार्दिक आभार/ यूं ही स्नेह बनाये रखिये/
यूट्यूब पर आपकी प्रतिक्रिया के लिए प्रतीक्षारत हूँ /
प्रकाशक प्रो. चंद्र भानु आर्य जी के मार्गदर्शन व् डॉ.अंजु दुआ के प्रोत्साहन से मेरे मनोबल में वृद्धि हुई/ आप दोनों का हृदयतल से आभार/
रजनी छाबड़ा
Thursday, June 26, 2025
सशक्त
सशक्त
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मधुमखियाँ संयुक्त प्रयास से
बनाती शहद का छत्ता
क़तरा क़तरा
प्रवाहित होता
पिघलते हिमखंड से
और नदी का रूप लेता
नदियाँ समाती जाती
सागर में
और सागर बन जाता
असीम, अथाह
जन मत का सागर भी
कुछ ऐसा ही है
एकजुटता से
बनता सशक्त /
रजनी छाबड़ा
एहसास/
नीले खुले आसमान तले
मंद मंद बयार का आनंद लेते
समुद्र तट पर
अजीब से खुशी मिलती है
क़ुदरत के ख़ज़ाने से
कुछ मिलने का एहसास /