Wednesday, July 8, 2009

दिल के मौसम

होती है कभी
फूलों से काँटों सी चुभन
कभी काँटों मैं
फूल खिला करते हैं

बहार मैं वीराना
कभी
वीराने मैं
बहार का एहसास 

यह दिल के मौसम
यूँ बेमौसम
बदला करते हैं

No comments:

Post a Comment