ज़िन्दगी
रेत का समंदर
शोख सुनहली
रूपहली
रेत सा भेरा
आमंत्रित करता सा
प्रतीत होता है
एक अंजुरी ज़िन्दगी
पा लेने की हसरत
लिए
प्रयास करती हूँ
रेत को अंजुरी मैं
समेटने का
फिसलती सी लगती है
ज़िन्दगी
क्षणिक
हताश हो
खोल देती हूँ
जब अंजुरी
झलक जाता है
हथेली के बीचों बीच
एक इकलौता
रेत का कण
वो ज़िन्दगी के पल
कभी मेरे
थे
ही नहीं
मेरी ज़िन्दगी का
पल
तो
वो है
जो जुड़ गया
मेरी हथेली के बीचों बीच
एक इकलौता
रेत का कण
बन के
रेत का समंदर
शोख सुनहली
रूपहली
रेत सा भेरा
आमंत्रित करता सा
प्रतीत होता है
एक अंजुरी ज़िन्दगी
पा लेने की हसरत
लिए
प्रयास करती हूँ
रेत को अंजुरी मैं
समेटने का
फिसलती सी लगती है
ज़िन्दगी
क्षणिक
हताश हो
खोल देती हूँ
जब अंजुरी
झलक जाता है
हथेली के बीचों बीच
एक इकलौता
रेत का कण
जो फिसल
गएवो ज़िन्दगी के पल
कभी मेरे
थे
ही नहीं
मेरी ज़िन्दगी का
पल
तो
वो है
जो जुड़ गया
मेरी हथेली के बीचों बीच
एक इकलौता
रेत का कण
बन के
jeevan k is viprit rang ko bhi pahchaano...kai var pani ki boond se ret kaa kan jyada wafa karta hai....
ReplyDeletepani to mrigtrishna jaisa hota hai..pas jate hi lupt ho jata hai...jiwan ke marusthal me ret hi hai jo sdayv sach bani rahti hai
u can translate dis poem into Gurmukhi, if u feel like translating it
ReplyDeleteRajni tumhaare Seedhe saral shabd hamesha jeevan ke marm par sakht chot karte hai ... hole se chu kar bahut kuch jhankrat kar jaatee hai tumhaare shabdo ki maalaa
ReplyDeletesend ur concent on my email....amarjeetkaunke@yahoo.co.in
ReplyDeletegud
ReplyDeleteamarjeet ji, i mailed u twice for consent of translation of my poem ret ke samender into panjabi, by u. but dere seems some problem wid ur mailing adress, mail is truncated every time, I send it.Can u pl call me on 0995436884 or contact me rajni.numerologist@gmail.com. i will be obliged
ReplyDeleteमेरी ज़िन्दगी का
ReplyDeletepal to
वो है
जो जुड़ गया
मेरी हथेली के बीचों बीच
एक इकलौता
रेत का कण
बन के
itne khoobsoorat ahsaas itnee sundar rachanaa arse baad dekhee aise hee likhtee rahana yugon tak