मैं मनमौजी
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मुझ से कैसी होड़ पतंग की
मैं पंछी खुले आसमान का
सकल विस्तार
निज पंखों से नापा
डोर पतंग की
पराये हाथों
उड़ान गगन की
आधार धरा का
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मुझ से कैसी होड़ पतंग की
मैं पंछी खुले आसमान का
सकल विस्तार
निज पंखों से नापा
डोर पतंग की
पराये हाथों
उड़ान गगन की
आधार धरा का
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