जीने की वजह
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निज ज़िन्दगी में
न जागने की वजह
न सोने की वजह
इसे दुनिया के नाम
कर दीजिए
जीने की वजह
खुद बख़ुद
मिल जायेगी
अश्क पीने की आदत
बदल जाएगी
अश्क़ पोंछने का हुनर
रास आ जाएगा
जीने का अन्दाज़
निखर जाएगा/
ज़िंदगी दा मक़सद
तुहाडी अपणी ज़िंदगी च
न रहवें जद जागण दी
न रहवें नींदरा आवण दी वजह
एह ज़िंदगी दुनिया दे नाम
कर देओ
ज़िंदा रेहवण दी वजह
अपणे आप मिल वेसी
हंजु पीवण दी आदत
बदल वेसी
हंजू पूंझण दा हुनर
रास आ वेसी
ज़िंदगी दा वल
निखर वेसी
रजनी छाबड़ा
19 /4 /2024