मित्रों , मेरे सद्य प्रकाशित हिंदी काव्य संग्रह 'बात सिर्फ इतनी सी 'की शीर्षक कविता बात सिर्फ इतनी सी मूल हिंदी कविता , मैथिली, इंग्लिश और बांगला अनुवाद के साथ आप सब से सांझा कर रही हूँ/
मैथिली अनुवाद : डॉ. शिव कुमार प्रसाद
इंग्लिश अनुवाद : Rajni Chhabra
बांगला अनुवाद : सुबीर मज़ूमदार
बात सिर्फ इतनी सी
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बगिया की
शुष्क घास परतनहा बैठी वह
और सामने
आँखों में तैरते
फूलों से नाज़ुक
किल्कारते बच्चे
बगिया का वीरान कोना
अजनबी का
वहाँ से गुजरना
आंखों का चार होना
संस्कारों की जकड़न
पहराबंद
उनमुक्त धड़कनअचकचाए
शब्द
झुकी पलकें
जुबान खामोश
रह गया कुछ
अनसुना,अनकहा
लम्हा वो बीत गया
जीवन यूँ ही रीत गया
जान के भी
अनजान बन
कुछ
बिछुडे ऐसा
न मिल पाये
कभी फिर
जंगल की
दो शाखों सा
आहत मन की बात
सिर्फ इतनी
तुमने पहले क्यों
न कहा
वह आदिकाल
से अकेलीवो अनंत काल
से उदास
और सामने
फूलों से नाज़ुक बच्चे
खेलते रहे/
बात सिर्फ इतनी सी
रजनी छाबड़ा
बात मात्र एतबी टा
फुलवारीक सुखाएल घास पर
एसगर बैठलि ओ
आ सोझामे
आँखिमे नचैत
फूल सन सुकुमार
किलकैत नेना सभ
फुलवारीक सुन्न कोन
एकगोट अनचिन्हारक
ओहि बाटे जाएब
आँखि मिलब
संस्कारक बन्हनमे बन्हाएल
पहराबद्ध
धकधकाएत करेज
अकचकाएत
शब्द
झुकल पऽल(पलक)
निःशब्द जिह्वा
रहि गेल किछु
बिनसुनल,बिनकहल
उहो पल बीत गेल
जिनगी ओहिना रीत गेल
बुझितो
अनबुझ बनल
किछु
एना बिछरलहुँ जे
फेर कहियो भेंट नहि भेल
जंगलक (गाछक) दूटा डार्हिसन
व्यथित मनक बात
मात्र एतबे
अहाँ पहिले किएकने
कहलहुँ
ओ अदौसँ
एसगरि
आ अनन्त कालसँ
उदास
आ सोझामे
फूल सन नेना सभ
खेलाएत रहल।
अनुवाद
डॉ शिव कुमार प्रसाद, सिमरा, झंझारपुर, मधुबनी।
ETERNAL LONELINESS
On the withered grass
Of orchard
She was
Sitting alone
And in front of her eyes
In her vision were
Blossom like kids
Giggling and playing
In the deserted corner
A stranger passed by
His eyes ,abruptly
Met with her eyes.
Caged by traditions
Confined heart beats
Hesitant words
Mum lips
Downcast eyes
Something remained
Unheard ,unushered.
The moment passed
Leaving behind
Vacuum in life.
knowing and still
Pretending to be ignorant
They parted
And could never
Meet again in life
Like two branches
Of thicket
Only pang of
Hurt heart was
Why you did not
Disclose your mind
At that instant only
She is lonely
Since epochs
He is forlorn
Since ages
And blossom like kids
kept giggling and playing.
RAJNI CHHABRA
On the withered grass
Of orchard
She was
Sitting alone
And in front of her eyes
In her vision were
Blossom like kids
Giggling and playing
In the deserted corner
A stranger passed by
His eyes ,abruptly
Met with her eyes.
Caged by traditions
Confined heart beats
Hesitant words
Mum lips
Downcast eyes
Something remained
Unheard ,unushered.
The moment passed
Leaving behind
Vacuum in life.
knowing and still
Pretending to be ignorant
They parted
And could never
Meet again in life
Like two branches
Of thicket
Only pang of
Hurt heart was
Why you did not
Disclose your mind
At that instant only
She is lonely
Since epochs
He is forlorn
Since ages
And blossom like kids
kept giggling and playing.
RAJNI CHHABRA
Heartiest thanx to Subir Majumder ji for his wonderful gift on this wonderful translation of the poem in Bangla
চিরন্তন নিঃসঙ্গতা
কবি রজনী ছাবরার ইটারনাল লোনলিনেস কবিতাটির ভাবানুবাদ।
অনুঃ সুবীর মজুমদার
বিবর্ণ ঘাসে ঢাকা
নির্জন প্রান্তর
বসে আছে নারী এক
স্মৃতিপটে তার
কতকিছু আসে ঘুরেফিরে
একদল শিশু যেন
খেলে হেলে দুলে।
নির্জন প্রান্তরে
একাকী পথিক
চলে হেঁটে।
দৃষ্টি বিনিময়
বাধা যেন তারা
কোনো এক অমোঘ নিয়মে।
হৃদয়ের দোলাচল
ধরিত্রী নিবদ্ধ দৃষ্টি
স্মৃতিপটে ফিরে আসা
কোনো এক কাহিনী মুহূর্ত।
সময় প্রবাহমান
পলি জমে
শূন্য জীবন
সবকিছু জেনে
তবু না বোঝার অভিনয়ে
তারা যায় চলে
দুজনে দুপথে
ফেরে না তো তারা
আর এ জীবনে।
হৃদয়ের আকুল অন্বেষণ
না বোঝার অভিনয়ে
ছিল কি কোনো ভ্রম!
কাহিনীশূন্য একাকী নারী
একা চলা হতাশ পুরুষ
শৈশব সারল্যে
একা একা খেলা করে
অনন্ত প্রাঙ্গণে।