सर्ग 7
लस्टस :
जानवरों के साम्राज्य में निषेध मुक्त है,
जिस से उन्हें अपना संतुलन और शांति
बनाये रखने में मदद मिलती है,
कुछ ऐसा ही पक्षियों के साथ हैं/
एक भी पक्षी कभी भी सैक्स से वंचित नहीं रहता /
आप देखिये, वे सब कितने शांत रहते हैं!
परन्तु मानव में इस से बड़ी कोई क्षुद्धा ही नहीं कि
उनकी सौंदर्य और शरीर के प्रति प्यास
कभी तृप्त ही नहीं होती/
और देवत्व की राह तलाशने की बजाय,
और यहाँ तक कि संसार को बेहतर बनाने के
तौर- तरीके खोजने की बजाय
मानव प्रजाति अपना यौवन और वृद्धावस्था
को व्यर्थ गवांने में लगी है/
सांझेदारों के पीछे लालायित रहना ,
विवाह के बारे में और गृहस्थी बसाने के बारे में सोचते रहने में/
इस समय यह लोग व्यस्त रहेंगे
सुयोग्य मिलान ढूंढने और विवाह रचाने में
और उसके बाद कचहरियों के चक्कर लगाने में
दानव व्यस्त रहेंगे, अपने किलों को सुदृढ़ बनाने में /
किलर इंस्टिंक्ट:
यह एक बहुत पेचीदा षड़यंत्र प्रतीत होता है,
विनाश के स्वामी
इस सब से आपको अंत में क्या प्राप्त होगा?
लस्टस :
किशोरावस्था से लेकर , वयस्कता तक
आदमी और औरतें विपरीत सैक्स के ही सपने लेते रहते हैं/
उनके दिमाग पर शादी का ही भूत चढ़ा रहता है/
अधिकतर, बेमेल विवाह हो जाते हैं/
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और यौन कुंठा
इस संसार का एक बड़ा मुद्दा बन चुका है/
एक व्यक्ति जिसका सारा अस्तित्व ही सैक्स पर केंद्रित हो,
वह ईश्वर के बारे में कैसे सोच सकता है?
वह मोक्ष के बारे में कैसे सोच सकता है?
और हम इसका सम्मिश्रण बना देंगे, इसे धर्म के साथ मिश्रित करते हुए/
वे जो यह अनुभव करते हैं के वे पथ भृष्ट हो गए हैं/
वे धार्मिक संघ में शामिल हो जाते हैं कुंवारे के रूप में।
कुंवारेपन से बड़ा असत्य तो कुछ हो ही नहीं सकता /
और शुचिता के विचार से बड़ा और खरनाक
कोई भी क्रूर कानून नहीं हो सकता/
अगर प्रकृति ने तुम्हे एक काया दी है,
इस में देखने के लिए आँखे हैं,
इस में हाथ है जिनसे आप भोजन कर सकें,
जिसमें टाँगे है जिनसे आप दूर दूर तक चल सकें/
और मानव के जननिक किस लिए है?
केवल भूखे मरने के लिए ?
एक पवित्र व्यक्ति तो वह है जो,
मन और शरीर दोनों ही से पूर्ण महसूस करता है/
हमारे खास व्यवहार की ओर जीवों का स्वाभाविक झुकाव पवित्र है/
और यह उतना ही आग्रहपूर्ण है जितना कि मूत्र करने की प्रबल इच्छा/
जिसे अगर रोका जाये, तो दिमाग़ को दूषित कर देती है/
और व्यक्ति तब तक शांत नहीं रह पाता
जब तक उसकी यह स्वाभाविक वृतियां मुक्ति नहीं पाती/
किलर इंस्टिंक्ट :
आप कहते है, महादूत, कि विश्वविद्यालयों के
शीर्ष पद उन लोगों को दिए जाने चाहिए,
जो सब से निम्न पद के योग्य हैं/
आप शिक्षा प्रणाली का करना क्या चाहते हैं?
आपके मन में क्या चल रहा है ?
पृष्ट 70
लस्टस :
ज्ञान ही तो मूल पाप है/
मेरी नज़र में यही सबसे बड़ा पाप है/
सर्वप्रथम, हम यह सुनिश्चित करेंगे कि आदर्शों पर रोक लगा दी जाएँ/
और केवल सौदेबाजी ही रहें/
अल्प ज्ञान बहुत खतरनाक होता है
आप सब यह जानते हो
और ज्ञान जितना अधिक होगा, खतरा भी उतना ही अधिक होगा/
हम सुनिश्चित करेंगे कि सभी असाधारण दिमाग वाले लोग
जोकि विज्ञान और तकनिकीकरण में
सभी मानवीय सीमायें पार कर
देवताओं के राज्य में भटकते रहें,
ताकि, वे ईश्वर को चुनौती दें
और, क्रोधित होकर,
ईश्वर उन्हें हमारी गोद में फ़ेंक दे/
हमारे विश्वविद्यालाय ज्ञान के दाहगृह होंगे/
हम सुनिश्चित करेंगे कि शीर्ष पर वे लोग रहें
जिनकी बुद्धि में कोई हिस्सेदारी नहीं है/
जो प्रकाश से वंचित हैं
जो अंधकार फ़ैलाने में यकीन रखते हैं
अन्धकार का मतलब रात नहीं
न देखने की क्षमता अन्धकार है/
और हम सुनिश्चित करेंगे कि
यह संसार अपने सभी दैवीय प्रावधानों से वंचित हो जाये /
लस्ट :
सेतन की क्या उपलब्धियान रही/
और उसके क्या ध्येय अधूरे रह गए,
जिनको पूरा करने का दायित्व आपने लिया है?
पृष्ट 71