Sunday, August 16, 2009

चिंगारी

दफ़न हुई
यादों की राख मैं
क्यों सुलग जाती है
चिंगारी सी
ज़िक्र होता है
जब भी तेरा
जाने अनजाने
नही थमते आंसूं
फिर किसी बहाने

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