Wednesday, July 12, 2017

तुम्हारे नयन

तुम्हारे नयन 

तुम्हारे नयन 
जानते हैं 
मुस्कान की भाषा 
चेहरे से 
दिल का हाल 
पढ़ने का हुनर 
कुछ तो जादुई है 
तुम्हारी चम्पई सूरत 
और मूमल सरीखी सीरत में 
ओ! मेरी प्रियतमा ------

तुम जानती हो सब 
परायों को अपना बनाने 
का सम्मोहन मंत्र 

कितना ही चाहूँ मैं 
होश में रहना 
पर तुम जानती हो 
पल छिन में 
खुद में समेट  लेने 
का करतब 
तुम 
केवल तुम नहीं हो 
तुम से ही 
मेरी  पहचान 
और मेरी दुनिया की शान 
ओ! मेरी प्रियतमा ------

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