Thursday, June 25, 2020

मन के बंद दरवाज़े

मन के बंद दरवाज़े

इस से पहले कि
अधूरेपन की कसक
तुम्हे कर दे चूर चूर
ता उम्र हँसने से
कर दे मज़बूर
खोल दो
मन के बंद दरवाज़े
और घुटन को
कर दो दूर


दर्द तो हर दिल में  बसता है
दर्द से सबका पुश्तैनी रिश्ता है
कुछ अपनी कहो, कुछ उनकी सुनो
दर्द को सब मिलजुल कर सहो


इस से पहले कि दर्द
रिसते रिसते, बन जाये नासूर
लगाकर हमदर्दी का मरहम
करो दर्द को कोसों दूर


बाँट लो, सुख दुःख को
मन को, जीवन को
स्नेहामृत से कर लो  भरपूर
खोल दो मन के बंद दरवाजे
और घुटन को कर लो दूर


रजनी

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