नम आँखों से
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फ़क़्त नज़रों से दूर रहने से
कभी दिल से दूर हुआ है कोई
खामोश लब रहें, तो आँखें बोलती हैं
हालात -ए -दिल बयाँ करने से, मज़बूर रहा है कोई
तेरी यादों से खाली गया न दिन कोई
यह सिलसिला रातों को भी थाम सका है कोई
नम आँखों से तुझे याद करती हूँ हर दम
यादों की रवानी रोक सकता हैं कभी कोई
रजनी छाबड़ा
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