Monday, July 12, 2021

 47  अक्स की उम्र

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उम्र भर का साथ
निभ जाता है कभी
एक ही पल में 
बुलबुले में 
उभरने वाले
अक्स की उम्र
होती है फ़कत
एक ही पल की
 
 
48  रेत की दीवार
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 ज़िन्दगी रेत की दीवार 
ज़माने में
आँधियों की भरमार 
 
जाने कब ठह जाये 
यह सतही दीवार 
फ़िर भी, क्यों ज़िंदगी से 
इतना मोह, इतना प्यार 
 
 
 
49  सहमी सहमी 
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मौत जब बहुत करीब से 
आकर गुज़र जाती है 
 दहशत का लहराता हुआ 
साया सा छोड़ जाती है 
 
सहमी सहमी से रहती हैं 
दिल  की धड़कने 
दिल की बस्ती को 
बियाबान सा छोड़ जाती है

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