इन दिनों
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ज़िन्दगी की आपाधापी में
उलझा इन्सान , इन दिनों
विषम परिस्थितयों से उंबरने की
स्वयं तलाशता हैं राह
कोविड के इस दौर में
नहीं रह सकता किसी के सहारे
मनोबल ही उसका सच्चा सहारा
उसकी अचूक ढाल
जिस से दुःख करता हैं किनारा
रजनी छाबड़ा
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