Tuesday, September 28, 2021

दर्द बढ़ता गया,ज्यों ज्यों दवा की



समीक्षा  :  लाइलाज़ 

विधा : उपन्यास 

लेखक : डॉ. रवीन्द्र कुमार यादव 

प्रकाशक : कलमकार मंच  , जयपुर 

पेपरबैक , मूल्य मात्र रु. 150 /-

दर्द बढ़ता गया,ज्यों ज्यों दवा की

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प्रिय पाठकों, विस्मित हो गए न आप इस शीर्षक को देख कर / परन्तु वास्तविक जीवन में कुछ ऐसा ही घटित होता है जब हम उचित ढंग से और उचित माध्यम से इलाज़ नहीं करवाते/ दर्द धीरे धीरे लाइलाज होता जाता है/

इस उपन्यास का मुख्य किरदार इंद्राज शुरू से इस अवधारणा से ग्रसित है कि यदि बीमारी को समूल नष्ट करना है तो देसी पद्धति से ही इलाज़ करवाना चाहिए/ घुटनों के दर्द की मार झेलता, अपने इलाज़ के लिए कभी नीम हकीम, कभी वैद्य और कभी आयुरपैथी के जाल में उलझता जाता है/ तांत्रिक , ओझा सभी के पास अपने दर्द के निवारण के लिए पहुंचता है/ हैअपनी सामर्थ्य से बढ़ कर उपचार के लिए खर्च करता है, परन्तु कोई भी फायदा नहीं होता / अंततः ऐलोपैथिक इलाज़ के लिए राज़ी होता है , पर तब तक दर्द लाइलाज ही जाता है/ 

इस उपन्यास के लेखक स्वयं डॉक्टर हैं और अपनी सशक्त कलम से बहुत सूक्ष्मता और गहनता से चिकित्सा जगत की बारीकियों को उजागर कर पाए है/ उपन्यास व्यंग्यात्मक शैली में लिखा गया है, इस कारण, उपन्यास की रोचकता और भी बढ़ गयी है/ सधे हुए व्यंग्य के साथ ही साथ , संवेदनात्मक अभिव्यक्ति का समिश्रण भी है/ इंद्राज  की ऑपरेशन के बाद बिगड़ी , नाज़ुक  हालत के मार्मिक चित्रण  से बरबस ही पाठकों की आँखों में आँसुओं का सैलाब उमड़ आता है/

 'लाइलाज'  देश भर में कुकुरमुत्तों की तरह  फैले कथित झोलाछाप चिकित्सकों के साथ साथ चिकित्सा व्यवस्था पर उंगली उठाता है/ अंधविश्वासों , टोने टोटकों , तांत्रिकों व् ओझाओं पर तो सटीक प्रहार किया ही है; साथ से साथ अस्पतालों में चलती अव्यवस्थाएं भी उनकी कलम के प्रहार से अछूती नहीं रही/ वर्तमान समय मैं  चिकित्सा जगत का सही स्वरूप इस उपन्यास के माध्यम से उकेरा गया है/ ख़ुद उपन्यासकार के शब्दों में , " मरीज़ का मर्ज़ बाहर  तंत्र मंत्र तो सरकारी तंत्र में बदहाली के चलते सदा लाइलाज़ ही रह जाता है/"

इस रोचक रचनात्मक उपन्यास को चिकित्सा व्यवस्था  की बारीकियां जानने के लिए ज़रूर पढ़ना चाहिए/ ईश्वर से प्रार्थना  है कि कलमकार डॉक्टर रवीन्द्र कुमार की लेखनी को और अधिक प्रखरता और सफलता की बुलंदियाँ दे/

रजनी छाबड़ा 

बहुभाषीय कवयित्री, अनुवादिका व् अंकशास्त्री

बीकानेर (राज.)

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