आस की कूंची से
देकिरापु
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रजनी छाबड़ा कविता के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है और वे लंबे समय से स्वांत सुखाय लिखती रही हैं।सुनाती रही हैं और सुनती रही हैं।उनकी कविताएं ही ऐसी हैं कि उनको पढ़ना अपने आप में आनंद विभोर कर देने वाला है।यही कारण है कि उनके प्रशंसकों ने मांग की ओर उनकी तीन कृतियों का प्रकाशन हो गया।
आस की कूंची से शीर्षक कविता संग्रह पड़ने बैठा तो पड़ता ही गया कब कितना समय बिता पता ही नहीं चला।
एक महिला की कविताओं से रूबरू होना महिला जगत की अबखाइयो और वास्तविकता के निकट जाने जैसा लगा।इनकी कविताओं में आदर,प्रेम,विछोह,नारी की दशा और दिशा का दिग्दर्शन होता है।एक महिला का नाम राजभाषा और उसका अंगूठा लगाना वास्तव में नारी की शैक्षिक स्थितियों का वर्णन है, वहीं उनका बेगाने कविता में अपनी ही तस्वीरों में बेगाने नजर आना एक गहरी पीड़ा को दर्शाता है।
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