होंठों पर ताले
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जुबां मैं भी रखती हूँ
लगा रखे हैं होठों पर ताले
दास्ताँ बयान करते करते
कहीं छलक न जाएँ आँखों के प्याले
खामोश हूँ
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जुबान मैं भी रखती हूँ
मगर खामोश हूँ
क्या दूँ
दुनिया के सवालों का जवाब
ज़िंदगी जब खुद
एक सवाल बन कर रह गयी/
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