ख़ामोशी
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ख़ामोशी बोलती है
तेरी आँखों की जुबान से
अनकहे लफ़्ज़ों की
कहानी बन जाती है
हौले से स्पर्श कर
पवन
ख़िला जाती है
अधखिली कली को
वो छुअन
ज़िंदगी की रवानी
बन जाती है
तेरी खुशबू ले के
आती है बयार
वो पल बन जाते हैं
ज़िंदगी की यादगार/
रजनी छाबड़ा
22/12/2004
ख़ूबसूरत...
ReplyDeletehardik abhaar
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