Wednesday, March 15, 2023

‘बात सिर्फ इतनी सी’ : भूमिका ---डॉ.अंजु दुआ जैमिनी



 अधूरापन ही आकर्षक है

बात सिर्फ इतनी सी’ होती तो इतनी बड़ी न होती और बात जब बड़ी हो जाए तो दूर तक जाती है। कवयित्रीअंकज्योतिषी रजनी छाबड़ा जी के काव्य-संग्रह  ‘बात सिर्फ इतनी सी’ की बात की जाए तो दूर तक जाएगी। इस संग्रह की कविताएं नदिया के जल की तरह कल-कल करती अपने साथ बहाती चली जाती हैं। इनकी कविताओं के भाव बिना शोर बचाए अपने निशान छोड़ रहे हैं। इनमें एक संगीत बहता है जिसे सुन कर खुशी भी होती है और हल्की-हल्की पीर भी। पीर भी ऐसी जो मीठी-मीठी लगे। कहते हैं अगर मनचाहा सब मिल जाए तो मन खुश नहीं रहता। जहाँ थोड़ा शून्य हो वहीं शांति होती है। रजनी जी ने अपनी कविताओं के माध्यम से मन की तरंगों का एक अदभुत संगीत बजाया है जिसकी स्वर लहरिया मंद्र से मध्यम और फिर तीव्र हो जाती है। इस गुंफित काव्यात्मकता से निकलने का मन ही नहीं होता।

इनकी कविताओं में सकारात्मकता हैउम्मीद हैनिराशा है और जिजीविषा भी है। सभी भावों को साथ लिए कविताओं में रूपकउपमाएंबिंब सजे हैं ; साथ ही कल्पना और यथार्थ का संतुलित सम्मिश्रण भी है। कवयित्री ने बचपन से यौवन और यौवन से परिपक्व अवस्था की धूप-छाँव को कविता में खूबसूरती से पिरोया है। जैसे सर्द दोपहर में दो टुकड़ा धूप मिल जाएजैसे किसी गर्म साँझ यकायक हवा चल पड़े और जैसे शुष्क दिवस झमाझम बरसात आ जाए बस वैसे ही इनकी काव्यात्मक पक्तियाँ मन को भिगो-भिगो जाती हंै। एक ठहराव है इनमेंगहराई है और साँझ की शीतल पवन के झकोरे हैं।

मुक्त छंद में गेयता की लहर है। ‘बात सिर्फ इतनी सी’ शीर्षक कविता में शोखी नहीं शिकायत है। श्रंगार रस के संयोग और वियोग दोनों भाव कविताओं में हैं । ‘पूर्णता की चाह’ कविता में जिजीविषा झांकती नजर आती है।

या खुदा/थोड़ा सा अधूरा/रहने दे/मेरी जिन्दगी का प्याला/ताकि प्रयास जारी रहे/उसे पूरा भरने का’ं

उपरोक्त पंक्तियां जीवन का फलसफा समेटे है कि अधूरापन ही आकर्षक है।

इसी भाव को लिए इनकी दूसरी कविता ‘अधूरी आरजू’ है-

कोई अधूरी आरजू लिए/सो जाइए/ताकि सुबह जागने की/कोई वजह तो हो।’

इन पंक्तियों में जीवन का गहन अर्थ है कि निरन्तरता ही जीवन है।

कोमल भाव लिए सशक्त कविताओं की रचयिता को मेरी अशेष शुभकामनाएँ।

-डाॅ. अंजु दुआ जैमिनी

साहित्यकार,

अध्यक्ष नई दिशाएँ हेल्पलाइन

फरीदाबाद

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