Saturday, April 20, 2024

ज़िंदगी दा मक़सद ; सिरायक़ी में मेरी कविता

   ज़िंदगी दा मक़सद 

   ****************

तुहाडी अपणी ज़िंदगी च 
न रहवें जद जागण दी 
न रहवें नींदरा आवण दी वजह 

एह ज़िंदगी दुनिया दे नाम 
कर देओ 
ज़िंदा रेहवण दी वजह 
अपणे आप मिल वेसी 

हंजु पीवण दी आदत 
बदल वेसी 
हंजू पूंझण दा हुनर 
रास आ वेसी 

ज़िंदगी दा वल 
निखर वेसी 

रजनी छाबड़ा 
19 /4 /2024 

2 comments: