जीवण दी वजह
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तुहाडी अपणी ज़िंदगी च
न रहवें जद जागण दी
न रहवें नींदरा आवण दी वजह
एह ज़िंदगी दुनिया दे नाम
कर देओ
ज़िंदा रेहवण दी वजह
अपणे आप मिल वेसी
हंजु पीवण दी आदत
बदल वेसी
हंजू पूंझण दा हुनर
रास आ वेसी
ज़िंदगी दा वल
निखर वेसी
रजनी छाबड़ा
19 /4 /2024
Awesome and motivating poem
ReplyDeleteHearty thanks for your motivational comment.
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