रेत दी दीवार
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ज़िंदगी रेत दी दीवार
ज़माने च
अंधेरियाँ दी भरमार
रब जाणे, कैड़े वेले
ढे पवे, एह खोख़ली दीवार
वल क्यूँ , ज़िंदगी नाल
इना मोह, इना पियार
रजनी छाबड़ा
19 /4 /2024
रेत की दीवार
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ज़िन्दगी रेत की दीवार
ज़माने में
आँधियों की भरमार
जाने कब ठह जाये
यह सतही दीवार
फ़िर भी, क्यों ज़िंदगी से
इतना मोह, इतना प्यार
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