बीजी को समर्पित
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आपका मातृत्व
जिस के स्नेह का
न कोई ओर -छोर
निश्छल प्रेम से करती
सभी को आत्म-विभोर
कौन समझायेगा हमें अब
जीने के दस्तूर
ज़िंदगी का अक्स दिखाने वाला
आईना न रहा
घर आँगन में
प्यार-बयार महकाने वाला
वट-वृक्ष न रहा/
रजनी छाबड़ा
15 /10 /2024
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