Monday, November 18, 2024

चौराहा

 चौराहा 


कौन सी  राह चुनें 

असमंजस के चौराहे पर खड़े 

 नहीं सोच पाते हैं हम 


अतीत की कुछ हसीन यादें 

कुछ खट्टे मीठे अनुभव 

बीते कल से जुड़ाव 


 

अतीत के धागों में उलझे 

अपने आज को ही नहीं जी पाते हम 

आ गया है उम्र का वह पड़ाव 

आगे बढ़ने से पहले ही 

बंधी बंधी हो जाती है चाल 


नहीं बटोर पाते 

आने वाले कल की 

चुनौतियों का सामना 

करने का साहस 

जाने क्या रहस्य छुपे हों 

भविष्य  की आगोश में 


भूत, वर्तमान और भविष्य  के 

ताने, बाने में  जकड़े 

अपने इर्द गिर्द व्यवस्तता के 

अपने ही बनाये जाल में 

मकड़ी से उलझे 

मुक्त गति की राह अब 

हमें ही  बनानी होगी 


अतीत के कुछ यादगार लम्हें 

वर्तमान के कुछ स्वर्णिम पल 

भविष्य की कुछ योजनाएँ 

सहेज कर अपने पाथेय में 

आगे बढ़ता चल 

ओ! राही 

राह तुम्हे खुद राह देगी 

मंज़िल तक पहुँचने की 


रजनी छाबड़ा 

बहु भाषीय कवयित्री व् अनुवादिका 



2 comments:

  1. So nice ma'am your poems resonate deeply with readers, touching on universal themes beautifully.

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  2. Hearty thanks, Dear Mehnaz, for your heartfelt comment

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