मन के बंद
अंधेरे कमरे में
तेरी यादों के झरोखे से
जब धूप छनी किरणे
आती हैं
दो पल को ही सही
अंधेरे में उजाले का
भरम जगा जाती हैं
रजनी छाबड़ा
अंधेरे कमरे में
तेरी यादों के झरोखे से
जब धूप छनी किरणे
आती हैं
दो पल को ही सही
अंधेरे में उजाले का
भरम जगा जाती हैं
रजनी छाबड़ा
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