Saturday, August 8, 2009

कैसा गिला

सुर्ख उनीदीं ऑंखें
पिछली रात की
करवटें
रतजगा
न ख़तम होने वाला
सिलसिला
विरहन का
यही
अमावसी
नसीब
किस से
शिकवा
कैसा
गिला







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