हम वोह नहीं
जो आँसू और आहें
ओड़े सो लेते हैं
हालात को
मजबूरी समझ
ढ़ो लेते हैं
हम वोह हैं
जो उजड़े चमन मैं
उम्मीदों
के बीज
बो लेते हैं
इस जनम मैं
विरह तो क्या
फिर मिलेंगे
अगले जनम मैं
यही सोच कर
स्वपन आंखों मैं लिए
हम अधजगी रातों मैं
सो लेते हैं.
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