Tuesday, October 13, 2009

अपनी किस्मत का तारा

जो सागर की इक् इक् लहर
गिन गिन कर बढ़ें
वो क्या उतरेंगे
तूफानी सैलाब मैं
खड़े रह कर सागर किनारे
थामे किसी चट्टान को
जो जूझना चाहेंगे
हर तूफान से
वो क्या हासिल करेंगे
ज़िन्दगी मैं
ज़िन्दगी के सागर मैं
गहरे डूब कर ही
किनारा मिलता है
तुफानो से जूझ कर
अपनी किस्मत का
तारा मिलता है

1 comment:

  1. सागर के किनारे बैठकर लहर गिनने वाले कभी पार नही जा सकते । यह प्रेरक कविता है ।

    ReplyDelete