Friday, October 30, 2009

TUMHI BATAO NA

तुम्ही बताओ ना
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मेरी नींद को पंख लगे जब
क्या तुम्हारी भी संग
उड़ा  ले गयी

या फिर अधजगी रातों  में
तारे गिनने की रस्म
मैं इकतरफा निभा गयी




4 comments:

  1. aisee kavityen aisee kalpnayen hairaan kar jatee hain

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  2. चिट्ठा जगत में आपका हार्दिक स्वागत है.
    आपने बहुत बहुत अच्छी रचना लिखी है. जारी रहें.
    मेरी शुभकामनाएं.
    --
    महिलाओं के प्रति हो रही घरेलू हिंसा के खिलाफ [उल्टा तीर] आइये, इस कुरुती का समाधान निकालें!

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  3. या फिर अधजगी रात में
    तारे गिनने की रस्म
    मैं इकतरफा निभा गयी
    ...
    waah
    kya baat hai
    Kitna dard chhupa hai
    bahot khoob likhti hain aap
    keep exploring

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