Saturday, July 30, 2011

यह कैसा सावन

यह कैसा सावन




सावन के झूलों के संग

हिलोरे लेती मैं और

मेरी सतरंगी चुनर के रंग

कहाँ खो गए



अबके क्यों बर्फ सी

जमी हैं सावन में 



एहसास भी बर्फ सी

सफ़ेद चादर ओढ़े

सो गए

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