यह कैसा सावन
सावन के झूलों के संग
हिलोरे लेती मैं और
मेरी सतरंगी चुनर के रंग
कहाँ खो गए
अबके क्यों बर्फ सी
जमी हैं सावन में
एहसास भी बर्फ सी
सफ़ेद चादर ओढ़े
सो गए
सावन के झूलों के संग
हिलोरे लेती मैं और
मेरी सतरंगी चुनर के रंग
कहाँ खो गए
अबके क्यों बर्फ सी
जमी हैं सावन में
एहसास भी बर्फ सी
सफ़ेद चादर ओढ़े
सो गए
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