Expression
Thursday, July 28, 2011
UNMUKT
झरनों की कलकल
पाखियों का कलरव
उन्मुक्त उडान
संदली बयार
सावनी फुहार
यही तुम्हारी
हँसीं की पहचान
मोतियों वाले घर का
दरवाज़ा खोल दो
ओढी हुई मुस्कान
छोड़ दो
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