याद आता है बरबस
वो रूठना, मनाना
वो तकरार
वो रूठना, मनाना
वो तकरार
कितना प्यारा
अंदाज़ था वो
प्यार का
मिल रहा सब से
स्नेह और दुलार
फिर भी मन तरसता है
उस तकरार को
अंदाज़ था वो
प्यार का
मिल रहा सब से
स्नेह और दुलार
फिर भी मन तरसता है
उस तकरार को
No comments:
Post a Comment