Monday, August 1, 2022

कवि

Friends! You can enjoy reading this poem ,both in Hindi and in Roman English in same post.


कवि 

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जो दूसरों के दर्द को 

निजता से जीता है 

भावनाओं और संवेदनाओं को 

शब्दों में पिरोता है 

वही कवि कहलाता है 


फ़ूल के भौतिक गुण -आकार 

जिस मिट्टी, खाद, पानी से 

हैं पनपता 

का बखान करना 

जीव-विज्ञानी को है आता 

फ़ूल की  ख़ुशबू और रंग 

के बखान से है 

कवि का प्यारा सा नाता 


जो मारे गए 

आततायिओं के दंगे-फ़सादों में 

कितने घर जले 

कितनी तबाही मची 

कितनी ज़िन्दगियों का हुआ अंत 

हर सुबह, हर शाम 

यह आंकड़ें रखना है 

सरकार और मीडिया का काम 

कितने निर्दोषों की ज़िंदगी 

हुई तबाह 

सुनना समझना उनकी 

सिसकियाँ और आहें 

उनकी व्यथा उकेरना 

अपनी रचनाओं में 

यही कवि का गहन दायित्व 

यही हैं उसके 

होने की पहचान 


रजनी छाबड़ा 





Jo doosron ke dard ko 

Nijata se jeeta hai

Bhavon aur samvednaon  ko

 Shabdon mein

Pirota hai 

Vahi kavi kahlata hai



Phool ke bhoutik goon

aakaar 

Jis mitteee

 Khaaad,pani se

Hai ugta

Ka bakhaan krna 

Jeev -vigyanee Ko hai aata

Phool ke rang aur

khushboon ke bakhaan se

Hai kavi ka pyaara nata


Jo maare gaye

Aattayiyon ke dange-fasadon mein

Kitne ghar jale, kitnee tabahi machi, 

kitnee Zindagiyon ka hua ant

Hr din, hr shaam 

Yeh aankaden rakhna hai

Sarkar aur media ka kaam

Kitne nirdoshon kee zindagi 

Hui tabaah

Sunana, samjhna unki

Siskiyaan aur aahen

 Unkee vyathaa ukerna

Aaaht mn se 

Apnee rachnaon mein

Yeh kavi ka gahan dayitv

Yehi hai uske 

Hone kee pahchaan.

Rajni Chhabra














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