Expression
Tuesday, October 4, 2022
बयार और बहार
बयार और बहार
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सिर्फ़ बयार से ही आती है
चमन में बहार
ग़र सोचते हो ऐसा
करते हो भूल
वक़्त के थपेड़े
खा कर भी
केक्टस में
खिलते हैं फ़ूल
रजनी छाबड़ा
मार्च 5, 2015
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