Tuesday, October 4, 2022

बहता मन


बहता मन



बहता मन , ठहरा तन 
जीवन अजब उलझन 

चाहता मन , उन्मुक्त धड़कन 
निभाता तन, संस्कारों की जकड़न 

बहता मन, ठहरा तन 
जीवन अजब उलझन 

रजनी छाबड़ा 
अप्रैल 2 , 2004 

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